कुछ यूं चला जो ये तारीखों का सिलसिला
क्या तुझे मिला और क्या तूने मुझे दिया ।।
बिछड़ गई जिंदगी से जिंदगी और सांसों से सांस
कुछ यूं जो चला ये जो तारीखों का सिलसिला।।
आज फिर बैठा हूं कोर्ट के बाहर एक नई तारीख के इंतजार में
कमबख्त ये सिलसिला यूंही खतम नही होगा ।।
लील लिया इसने न जाने कितने ही खवाबो का परवान
खा गया ये न जाने कितने नए दिनों की दास्तान ।।
कुछ ख्वाब ऐसे भी रहे जो सीढ़ी न चढ़ पाए
और कुछ ऐसे भी जो कभी जहन में भी न आ पाएं।।
कुछ यूं जो चला जो ये तारीखों का सिलसिला ।।
#SNJ
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