Sunday, July 18, 2021

बेगुनाह की सजा

 वो गीत मैंने कभी गाये ही नहीं 

जो चीख चीख कर भरी अदालत में सुनाये जा रहे थे


हर गीत पर भर-भरकर 

ठहाके लगाये जा रहे थे

हर इक मुकदमे में वो बस हमें 

उलझाए जा रहे थे


हर शब्द में संगीन इल्जामात  लगाये जा रहे थे

हर धुन में वो धड़कन मेरी बढ़ाए जा रहे थे 


मैं तो चुप था मगर 

जज साहब बेशुमार सजा सुनाये जा रहे थे


सनम के लिखे गीत थे 

"झूठ है" कहते हुए मेरे होंठ थरथराये जा रहे थे।।



@SNJ

7 comments:

  1. Yeh har aadmi ki kahanai hai jo aaj seena chauda karke aadalat mein jhoote cases ke khilaaf laad rahe hai. Yeh ladai vish yudh se bhi badi hai aur hame ladna hai aur aise hi apne bhaihyo ko hosala badana hai. Keep writing and keep inspiring people

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  2. Put up a strong fight. Every charge must be proved by the OP

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  3. Very nicely written the bitter truth of our society and paralyzed judiciary

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  4. mein shayar to nahi, magar ae sharam heen, tere 498a, dv, 125 ke jhute cases ko dekha, shayari aa gayi.

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