Sunday, July 18, 2021

बेगुनाह की सजा

 वो गीत मैंने कभी गाये ही नहीं 

जो चीख चीख कर भरी अदालत में सुनाये जा रहे थे


हर गीत पर भर-भरकर 

ठहाके लगाये जा रहे थे

हर इक मुकदमे में वो बस हमें 

उलझाए जा रहे थे


हर शब्द में संगीन इल्जामात  लगाये जा रहे थे

हर धुन में वो धड़कन मेरी बढ़ाए जा रहे थे 


मैं तो चुप था मगर 

जज साहब बेशुमार सजा सुनाये जा रहे थे


सनम के लिखे गीत थे 

"झूठ है" कहते हुए मेरे होंठ थरथराये जा रहे थे।।



@SNJ

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