वो गीत मैंने कभी गाये ही नहीं
जो चीख चीख कर भरी अदालत में सुनाये जा रहे थे
हर गीत पर भर-भरकर
ठहाके लगाये जा रहे थे
हर इक मुकदमे में वो बस हमें
उलझाए जा रहे थे
हर शब्द में संगीन इल्जामात लगाये जा रहे थे
हर धुन में वो धड़कन मेरी बढ़ाए जा रहे थे
मैं तो चुप था मगर
जज साहब बेशुमार सजा सुनाये जा रहे थे
सनम के लिखे गीत थे
"झूठ है" कहते हुए मेरे होंठ थरथराये जा रहे थे।।
@SNJ